रहे प्रेम सौहार्द सदन में, लालच लोभ न आए मन में, खिले फूल सबकी बगिया में, गूँजे भँवरा वन उपवन में, हो विकास में सब सहभागी, झलके ख़ुशियाँ सकल भुवन में, सुख सुविधा हो सबकी ख़ातिर, अश्रु न आए किसी नयन में, दीपक करे भेद ना कोई, चमके सूरज चंद्र गगन में, राजा प्रजा सुखी तब होंगे, रामराज्य जब अंतर्मन में, लालच लोभ खत्म फिर होगा, संचय रहित भ्रमर 'गुंजन' में, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #रहे प्रेम#