आज बीच बाजार देखा गया दार्शनिकों का झुण्ड जो अपनी खोपडिया अपने सर पर रख कर गुहार लगाते दिखे "बुद्धि लेलो प्रज्ञा खरीद लो वो भी कौड़ियों क़े भाव मे " कितनी निरीह है दार्शनिकों की ये प्रजाति जो अपने पेट पालने क़े लिए बीच बाजार मे अपनी खोपडिया ( बुद्धि सहित ) बेचने क़े लिए विवश हो रही है क्या उनके प्रति हमें सहानुभूति नहीं प्रकट करनी चाहिए? ©Parasram Arora #दार्शनिकों की जमात