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कोई शख्स हो हसीं और शनासा हो, फिर क्यों न सर-ए-दुन

कोई शख्स हो हसीं और शनासा हो,
फिर क्यों न सर-ए-दुनिया तमाशा हो,
उसका नज़रें मिलाना इत्तेफाकन तो नही है,
मुमकिन है वो शख़्स दिल तक रास्ता बनाता हो,
नही उठती जबां कि यूं कहूं तुमसे मैं,
फिर किस तरह मेरे हाल-ए-दिल का खुलासा हो....?
 उसका नज़रें मिलाना इत्तेफाकन तो नही है,
मुमकिन है वो शख़्स दिल तक रास्ता बनाता हो.....!
कोई शख्स हो हसीं और शनासा हो,
फिर क्यों न सर-ए-दुनिया तमाशा हो,
उसका नज़रें मिलाना इत्तेफाकन तो नही है,
मुमकिन है वो शख़्स दिल तक रास्ता बनाता हो,
नही उठती जबां कि यूं कहूं तुमसे मैं,
फिर किस तरह मेरे हाल-ए-दिल का खुलासा हो....?
 उसका नज़रें मिलाना इत्तेफाकन तो नही है,
मुमकिन है वो शख़्स दिल तक रास्ता बनाता हो.....!
sameerjain7336

Sameer Jain

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