साहब बेवजह गाली देते हो.. गरीब को क्यों मारते हो...?? पेट की भूक बाहर ले आती है.. जिंदगी ऐसा भी दिन दिखती है.. ना कुछ प्रबंध है.. सब कुछ बंद है.. अब धडकनोपेभी क्या प्रतिबंध है?? साहब जिंदगी खाक हो रहीं है... अख़बारों में सिर्फ बात हो रही है... कोरोना का रोना है.. चैन से थोडेही सोना है..??? जमीन का बिस्तर है..छाँव की चादर है... संस्कार नहीं भूले.. दिल मे आदर है... इसीलिए तो गाली का जवाब भी बड़े प्यार से देता हू.. बाप की उम्र का हू.. पर तुम्हारे पैर छूता हू... चूल्हा क्या जलाये साहब????? बस अब बिडी ही जलाता हू... उसिको जलाए.... पेट की आग बुझाता हू... दो बची थी सहाब... ना जाने कहां गुम गई... मानो दो बीड़ी नहीं.. पीढ़ियां भी कम हो गई.. उसी की complent लिखवाने थाने जा रहा था... जेब की माचिस को वहीं, कहानी सुना रहा था... साहब .. उसमे भी अब सिर्फ तीन ही काडी बची है... आखरी बार सुलगने.. बेचैन सी रुकी है... बोहत महीने पाहिले दाल चावल खाते थे.. कुछ दिन पहले... चाय पीके चलाते थे.... बस अब तो सब ठीक है... साहब बिलकुल ठीक है.. पिछ्ले पाच दिन... बिडी से काम चला रहा हू... खुद भी जल रहा हू.. उसे भी जला रहा हू... साहब अब आप ही मेरी अर्जी लिखा देना... वक्त मिले तो मेरी दो बीड़ी जरूर तलाश लेना... वक्त मिले तो मेरी बीड़ी जरूर तलाश लेना......... @ओम #Light #Bidi #kavita #najm #shayari #inspiration #Poetry #nazm #reality