अल्हड़ पन की उस पागल मस्ती का। नागिन सी बलखाती उस रस्सी का। चुपके चुपके से तांका झांकी का। अपनों की जादू बाली झप्पी का । मजा ही कुछ और है... अल्हड़ पन की उस पागल मस्ती का। नागिन सी बलखाती उस रस्सी का। चुपके चुपके से तांका झांकी का। अपनों की जादू बाली झप्पी का । मजा ही कुछ और है...