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तुम तर्क दो मैं प्रेम दूं। तुम वक्र दो मैं सीध दूं

तुम तर्क दो मैं प्रेम दूं।
तुम वक्र दो मैं सीध दूं।

क्या कोई राह सीधी सरल?
क्या हर सत्य निर्मल विरल?

प्रकृति ही है की विलोम प्रिय।
तुम दुख बनो मैं शील दूं।

जो पथ चलो वो क्लिस्ट हो
जो कर्म हो वो शिष्ट हो
जो वाच हो तो ओज हो
परहित में निहित हर सोच हो

सौंदर्य तुम मैं शक्ति दूं।

तुम .......,.।

©mautila registan(Naveen Pandey)
  #Unfiltered #hindi_poetry