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कभी यूं भी हो की छुप जाऊँ मैं कहीं दूर आसमान के उस

कभी यूं भी हो
की छुप जाऊँ मैं कहीं दूर
आसमान के उस पार
जहाँ तुम न देख पाओ मुझे
न सुन पाओ

जब कभी उदासी का बादल 
उमड़ घुमड़ कर छाए तुम पर
मेरी बातें , मेरी हँसी
मेरी शिकायतें बेचैन करें तुम्हें

कभी जो दिन भर की थकन के बाद 
ढूंढ़ना जो चाहो सकून के पल
तो न पा कर अपने पास मुझे 
तुम्हारी भी पलकों के कोर भीग जाएं

चाहो जब अपनी हर ख़ुशी अपना हर
गम बाँटना तो न पाओ कोई
मूक मंद मुस्कुराता हमसाया
तो चित्कार कर उठे तुम्हारा भी मन

और कभी जो खुद को बिखेरना चाहो
मेरी बाँहों में तो बेबस हो उठे तुम्हारे कदम
और तब तुम आ जाना 
दूर क्षितिज के उस पार
कल कल बहती बयार में
पाओगे मेरी खुशबू
तब न मेरा चेहरा होगा
न बदन होगा
बस,,,,,,,होगा तो मेरा निश्छल प्रेम !!!
कभी यूं भी हो
की छुप जाऊँ मैं कहीं दूर
आसमान के उस पार
जहाँ तुम न देख पाओ मुझे
न सुन पाओ

जब कभी उदासी का बादल 
उमड़ घुमड़ कर छाए तुम पर
मेरी बातें , मेरी हँसी
मेरी शिकायतें बेचैन करें तुम्हें

कभी जो दिन भर की थकन के बाद 
ढूंढ़ना जो चाहो सकून के पल
तो न पा कर अपने पास मुझे 
तुम्हारी भी पलकों के कोर भीग जाएं

चाहो जब अपनी हर ख़ुशी अपना हर
गम बाँटना तो न पाओ कोई
मूक मंद मुस्कुराता हमसाया
तो चित्कार कर उठे तुम्हारा भी मन

और कभी जो खुद को बिखेरना चाहो
मेरी बाँहों में तो बेबस हो उठे तुम्हारे कदम
और तब तुम आ जाना 
दूर क्षितिज के उस पार
कल कल बहती बयार में
पाओगे मेरी खुशबू
तब न मेरा चेहरा होगा
न बदन होगा
बस,,,,,,,होगा तो मेरा निश्छल प्रेम !!!