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सोई हुई हाथ की लकीरे पुकारे मेरा किरदार, चेहरे पर

सोई हुई हाथ की लकीरे पुकारे मेरा किरदार,
चेहरे पर खुशी का भाव, और दिल में छुपी है वीरानियाँ ,
पहले तो अच्छा लगता था ये अकेलापन,
अब तो सताती है हर मंज़र पर ये तन्हाई मेरी,
आंखँ खुलते ही मिलती है तो सिर्फ़ मायूसी ही,
मन ही नहीं लगता दिन के कामकाज में,
शाम ढलते ही बस वह पुरानी चाय और घर की चार दीवारें,
रात तो जैसे काटने को दौड़े तन्हाई के समुद्र में,
फिर भी लोगों के साथ हसते चेहरे के साथ जीता हूंँ,
पर दिल ही समझे मेरे यह हसी के पीछे की हकीक़त,

तलाश है एक किरदार की, 
जो मेरे किरदार को समझ कर, 
मेरा दर्द बांटके, मेरी वीरानियाँ को दूर कर के, 
मेरी चार दीवारों को एक घर में तबदील करें। 
-Nitesh Prajapati 

 ♥️ Challenge-764 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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सोई हुई हाथ की लकीरे पुकारे मेरा किरदार,
चेहरे पर खुशी का भाव, और दिल में छुपी है वीरानियाँ ,
पहले तो अच्छा लगता था ये अकेलापन,
अब तो सताती है हर मंज़र पर ये तन्हाई मेरी,
आंखँ खुलते ही मिलती है तो सिर्फ़ मायूसी ही,
मन ही नहीं लगता दिन के कामकाज में,
शाम ढलते ही बस वह पुरानी चाय और घर की चार दीवारें,
रात तो जैसे काटने को दौड़े तन्हाई के समुद्र में,
फिर भी लोगों के साथ हसते चेहरे के साथ जीता हूंँ,
पर दिल ही समझे मेरे यह हसी के पीछे की हकीक़त,

तलाश है एक किरदार की, 
जो मेरे किरदार को समझ कर, 
मेरा दर्द बांटके, मेरी वीरानियाँ को दूर कर के, 
मेरी चार दीवारों को एक घर में तबदील करें। 
-Nitesh Prajapati 

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