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तेरी याद के काजल से ख़ुश रहते थे, हम दो नैना दो पल

तेरी याद के काजल से ख़ुश रहते थे,
हम दो नैना दो पल से ख़ुश रहते थे।

उससे हमें तोहफ़े की हाजत क्यूँ होती,
उसकी टूटी-चप्पल से ख़ुश रहते थे।

सिंपल से हम डिंपल पड़ता था हमको,
डिंपल में हम पिंपल से ख़ुश रहते थे।

©Shubham Anand Manmeet तेरी याद के काजल से ख़ुश रहते थे,
हम दो नैना दो पल से ख़ुश रहते थे।

उससे हमें तोहफ़े की हाजत क्यूँ होती,
उसकी टूटी-चप्पल से ख़ुश रहते थे।

सिंपल से हम डिंपल पड़ता था हमको,
डिंपल में हम पिंपल से ख़ुश रहते थे।
तेरी याद के काजल से ख़ुश रहते थे,
हम दो नैना दो पल से ख़ुश रहते थे।

उससे हमें तोहफ़े की हाजत क्यूँ होती,
उसकी टूटी-चप्पल से ख़ुश रहते थे।

सिंपल से हम डिंपल पड़ता था हमको,
डिंपल में हम पिंपल से ख़ुश रहते थे।

©Shubham Anand Manmeet तेरी याद के काजल से ख़ुश रहते थे,
हम दो नैना दो पल से ख़ुश रहते थे।

उससे हमें तोहफ़े की हाजत क्यूँ होती,
उसकी टूटी-चप्पल से ख़ुश रहते थे।

सिंपल से हम डिंपल पड़ता था हमको,
डिंपल में हम पिंपल से ख़ुश रहते थे।

तेरी याद के काजल से ख़ुश रहते थे, हम दो नैना दो पल से ख़ुश रहते थे। उससे हमें तोहफ़े की हाजत क्यूँ होती, उसकी टूटी-चप्पल से ख़ुश रहते थे। सिंपल से हम डिंपल पड़ता था हमको, डिंपल में हम पिंपल से ख़ुश रहते थे। #कविता #HeartBook