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shubhamanandmanm7181
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Shubham Anand Manmeet

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Shubham Anand Manmeet

जब ख़ुद का ख़ुदी को पता नहीं होता है, 
तब ख़ुदा कहीं मंदिर-मस्जिद…में बैठा होता है।

©Shubham Anand Manmeet जब ख़ुद का ख़ुदी को पता नहीं होता है, 
तब ख़ुदा कहीं मंदिर-मस्जिद…में बैठा होता है।

#booklover

जब ख़ुद का ख़ुदी को पता नहीं होता है, तब ख़ुदा कहीं मंदिर-मस्जिद…में बैठा होता है। #booklover #समाज

11 Love

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Shubham Anand Manmeet

चाहता  हूँ  ऐसे  तुम  को 
   जैसे  बाती  संग हो  दीप..! 

रहती आँखों  में  मेरे  तुम 
    जैसे रक्खे मोती को सीप..!! 

बिन तुम्हारे व्यर्थ जीवन 
   बिन  तुम्हारे  लगे  न मन..!

साथ  छूटे  न  हमसफर 
     तुम सदा रहो मन के मीत..!! 

चाहता  हूँ  ऐसे  तुम  को 
जैसे  बाती संग हो  दीप..!

©Shubham Anand Manmeet चाहता  हूँ  ऐसे  तुम  को 
   जैसे  बाती  संग हो  दीप..! 

रहती आँखों  में  मेरे  तुम 
    जैसे रक्खे मोती को सीप..!! 

बिन तुम्हारे व्यर्थ जीवन 
   बिन  तुम्हारे  लगे  न मन..!

चाहता हूँ ऐसे तुम को जैसे बाती संग हो दीप..! रहती आँखों में मेरे तुम जैसे रक्खे मोती को सीप..!! बिन तुम्हारे व्यर्थ जीवन बिन तुम्हारे लगे न मन..! #ValentinesDay #लव

9 Love

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Shubham Anand Manmeet

10 Bookings

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Shubham Anand Manmeet

सुनो तुम जैसी हो मुझे वैसे ही अच्छी लगती हो

बिना मेकअप के, और बाल उलझे हुए। 
हरकतें पागलों सी, विचार सुलझे हुए। 
सिम्पल से कपड़े, और सिम्पल सी बात। 
गालों में पिम्पल, और ये टेढ़े मेढ़े दांत ।

दिल की साफ, बस दिमाग की कच्ची लगती हो।
सुनो तुम जैसी हो मुझे वैसे ही अच्छी लगती हो। 

हाइट में छोटी तुम, और हो रही हो मोटी। 
बाल खोलो तुम या बांध लो एक चोटी । 
ना आंखों में काजल, ना होंठो पर लाली । 
ना हाथों में कंगन कोई, ना कानों में बाली।

किसी भीड़ में तुम एक प्यारी सी बच्ची लगती हो। 
सुनो तुम जैसी हो मुझे वैसे ही अच्छी लगती हो।

दिखावा करके किसी को कभी रिझाना मत। 
मेकअप से खुद को स्टेच्यू की तरह सजाना मत। 
तुम्हारा साधारण पन ही सबसे अच्छा लगता है। 
तुम में कुछ भी  झूठ नहीं सब सच्चा लगता है।

दुनिया की भीड़ में एक तुम ही सच्ची लगती हो। 
सुनो तुम जैसी हो मुझे वैसे ही अच्छी लगती हो।

©Shubham Anand Manmeet
  सुनो तुम जैसी हो मुझे वैसे ही अच्छी लगती हो

बिना मेकअप के, और बाल उलझे हुए। 
हरकतें पागलों सी, विचार सुलझे हुए। 
सिम्पल से कपड़े, और सिम्पल सी बात। 
गालों में पिम्पल, और ये टेढ़े मेढ़े दांत ।

दिल की साफ, बस दिमाग की कच्ची लगती हो।

सुनो तुम जैसी हो मुझे वैसे ही अच्छी लगती हो बिना मेकअप के, और बाल उलझे हुए। हरकतें पागलों सी, विचार सुलझे हुए। सिम्पल से कपड़े, और सिम्पल सी बात। गालों में पिम्पल, और ये टेढ़े मेढ़े दांत । दिल की साफ, बस दिमाग की कच्ची लगती हो। #लव

117 Views

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Shubham Anand Manmeet

✧✧Breakup✧✧

हां सही कहती थी तुम,
सही कहती थी तुम कि कभी मुझे रिश्तो को अप्रोच करना नहीं आता...
जानती है क्यों नहीं आता क्योंकि मैंने कभी रिश्ते देखें ही नहीं है..
क्योंकि मैंने तो जब भी होश संभाला खुद को अकेले ही देखा..
कोई कभी मेरे पास ऐसा था ही नहीं जो मेरा हाथ पकड़ सके
 मैं तो जब भी गिरा खुद ही उठा..

जब भी रूठा खुद ही खुद को मनाया...
 जब भी रोया खुद ही खुद के आंसू पहुंचे...
अब तुम बताओ उस लड़के के लिए तो रिश्तो से बढ़कर 
खुद के सपने होंगे ना जिनको बनाने के लिए वो दिन रात एक कर रहा है
जिनके लिए शायद वो जी रहा है

लेकिन एक बात बताओ तुम तो थी ना मेरे पास
तुम तो थाम सकती थी ना मेरा हाथ।।
तुम तो मुझे रिश्ते और सपनों में अंतर समझा सकती थी ना।।
लेकिन तुमने भी तो वही किया जो लोगों ने किया छोड़ दिया मुझे अकेला।।
तो एक बात बताओ अपने रिश्ते में गलत मैं अकेला कैसे।।
क्यों मुझे हर बार यही सुनने को मिलता है कि ये रिश्ता मेरी गलती से टूटा है।।
यह बात है बड़ी चुभती है मुझे।।
तोड़ के रख देती है मुझे कि मैंने तुम्हें अपनी गलती से खोया।।❤️✍

©Shubham Anand Manmeet ✧✧Breakup✧✧

हां सही कहती थी तुम,
सही कहती थी तुम कि कभी मुझे रिश्तो को अप्रोच करना नहीं आता...
जानती है क्यों नहीं आता क्योंकि मैंने कभी रिश्ते देखें ही नहीं है..
क्योंकि मैंने तो जब भी होश संभाला खुद को अकेले ही देखा..
कोई कभी मेरे पास ऐसा था ही नहीं जो मेरा हाथ पकड़ सके
 मैं तो जब भी गिरा खुद ही उठा..

✧✧Breakup✧✧ हां सही कहती थी तुम, सही कहती थी तुम कि कभी मुझे रिश्तो को अप्रोच करना नहीं आता... जानती है क्यों नहीं आता क्योंकि मैंने कभी रिश्ते देखें ही नहीं है.. क्योंकि मैंने तो जब भी होश संभाला खुद को अकेले ही देखा.. कोई कभी मेरे पास ऐसा था ही नहीं जो मेरा हाथ पकड़ सके मैं तो जब भी गिरा खुद ही उठा.. #ज़िन्दगी #BookLife

7 Love

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Shubham Anand Manmeet

लाश  मेरी  यहाँ से  ले जाना
शहर से दूर मुझको दफ़नाना

मैं  तुझे   देखूं  ग़ैर  का   होते  
इससे बेहतर है मेरा मर जाना

मैं  तेरा हूँ  तेरा रहूंगा और
तू मेरा है ये मैंने कब माना

जानते हो दीवानगी की हद?
जाननी हो तो मेरे घर आना

ख़ुदकुशी चाहता है दिल लेकिन
इतना  आसां  नहीं है  कर पाना

छोड़कर जा रही हो, जाओ! पर,
इस  दफ़ा  लौट कर  नहीं  आना।

©Shubham Anand Manmeet लाश  मेरी  यहाँ से  ले जाना
शहर से दूर मुझको दफ़नाना

मैं  तुझे   देखूं  ग़ैर  का   होते  
इससे बेहतर है मेरा मर जाना

मैं  तेरा हूँ  तेरा रहूंगा और
तू मेरा है ये मैंने कब माना

लाश मेरी यहाँ से ले जाना शहर से दूर मुझको दफ़नाना मैं तुझे देखूं ग़ैर का होते इससे बेहतर है मेरा मर जाना मैं तेरा हूँ तेरा रहूंगा और तू मेरा है ये मैंने कब माना #ज़िन्दगी #Goodevening

6 Love

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Shubham Anand Manmeet

तेरा एक मैसेज और मेरे लबों पर मुस्कान
हाय दिल को ये मेल कितना सुकून दे जाता है

तेरा देर तक मुझसे यूँ ही बातें करना
हाय मेरे दिन भर के काम को विराम दे जाता है

तेरा मुझसे यूँ ही बिन बात के बहस करना
हाय खुली आँखों से भी मुझे सपने दिखा जाता है

तेरा मुझसे यूँ ही दिन रात अनायास उलझे रहना
हाय मुझे जीने को एक नया सा आयाम दे जाता है

तेरा मेरी गैरहाज़िरी में दिल को चैन ना मिल पाना
हाय मेरे मोहब्बत को एक नया सा मोड़ दे जाता है।

©Shubham Anand Manmeet तेरा एक मैसेज और मेरे लबों पर मुस्कान
हाय दिल को ये मेल कितना सुकून दे जाता है

तेरा देर तक मुझसे यूँ ही बातें करना
हाय मेरे दिन भर के काम को विराम दे जाता है

तेरा मुझसे यूँ ही बिन बात के बहस करना
हाय खुली आँखों से भी मुझे सपने दिखा जाता है

तेरा एक मैसेज और मेरे लबों पर मुस्कान हाय दिल को ये मेल कितना सुकून दे जाता है तेरा देर तक मुझसे यूँ ही बातें करना हाय मेरे दिन भर के काम को विराम दे जाता है तेरा मुझसे यूँ ही बिन बात के बहस करना हाय खुली आँखों से भी मुझे सपने दिखा जाता है #ज़िन्दगी

7 Love

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Shubham Anand Manmeet

तुम्हारे प्यार का बदला हुआ अंदाज ये लगता।
तुम्हारी आँख में कोई छिपा-सा राज ये लगता।

लिये अपने उदासी को जमाने में भटकता हूँ,
किरण कोई नहीं दिखती, लुटा-सा ताज ये लगता।

©Shubham Anand Manmeet तुम्हारे प्यार का बदला हुआ अंदाज ये लगता।
तुम्हारी आँख में कोई छिपा-सा राज ये लगता।

लिये अपने उदासी को जमाने में भटकता हूँ,
किरण कोई नहीं दिखती, लुटा-सा ताज ये लगता।

शुभम आनंद मनमीत

तुम्हारे प्यार का बदला हुआ अंदाज ये लगता। तुम्हारी आँख में कोई छिपा-सा राज ये लगता। लिये अपने उदासी को जमाने में भटकता हूँ, किरण कोई नहीं दिखती, लुटा-सा ताज ये लगता। शुभम आनंद मनमीत #शायरी

11 Love

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Shubham Anand Manmeet

अब फिर से किसी की एक मुस्कान पर मर जाना है,
 अब फिर से किसी की फोन के इंतजार में घंटों बिताना है,
पुराने जख्म सारे भर गए, मुझे अब फिर से इश्क करना है!!

©Shubham Anand Manmeet अब फिर से किसी की एक मुस्कान पर मर जाना है,
 अब फिर से किसी की फोन के इंतजार में घंटों बिताना है,
पुराने जख्म सारे भर गए, मुझे अब फिर से इश्क करना है!!

शुभम आनंद मनमीत

Shubham Anand Manmeet

अब फिर से किसी की एक मुस्कान पर मर जाना है, अब फिर से किसी की फोन के इंतजार में घंटों बिताना है, पुराने जख्म सारे भर गए, मुझे अब फिर से इश्क करना है!! शुभम आनंद मनमीत Shubham Anand Manmeet #विचार

10 Love

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Shubham Anand Manmeet

चाहत का  तेरी ख़ुद पे  असर  देख रहे  हैं ।
आती नज़र  है  तू  ही  जिधर  देख रहे  हैं।।

©Shubham Anand Manmeet चाहत का  तेरी ख़ुद पे  असर  देख रहे  हैं ।
आती नज़र  है  तू  ही  जिधर  देख रहे  हैं।।

शुभम आनंद मनमीत
Shubham Anand Manmeet


#soulmate #Love

चाहत का तेरी ख़ुद पे असर देख रहे हैं । आती नज़र है तू ही जिधर देख रहे हैं।। शुभम आनंद मनमीत Shubham Anand Manmeet #soulmate Love #शायरी

11 Love

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