ये अर्थहीन संवाद और विवादों का घेरा ये शेरो की गुफा मे गीदड़ो का बसेरा ये विवादित बयानों की निरंकुशता और दिलो को चीर देने वाली असवेधानिक भाषा ये तर्कों की अशशीलता और विवशताओं की पीड़ा अपमान और कलंक से बोझिल... अनुभूति विहीन आकारहीन तम मे बतियाने को तरसता हुआ. ये जीवन का विवर्ण खुशक चेहरा... और शिशिर. के कोहरो मे डूबा हुआ ये जनतन्त्र ज़ो जूझ रहा हैँ आज भीiवहशत और दहशत की साज़िशो से ज़ो आज भी दीवारों पर टांग देने वाली परम्पराओं से अपने को मुक्त नही. कर पाया हैँ ©Parasram Arora ये अर्थ हीन संवाद #yogaday