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ईमानदारी की राह में मुश्किलें अथाह चलने में पड़ते

ईमानदारी की राह
में मुश्किलें अथाह
चलने में पड़ते छाले,
है दर्द बेपनाह

लालच की मोल इतना,
बिक जाता है ईमान
रहती है थाट से वो
है महल आलिशान

ईमान झोपड़ी में
घायल रही कराह

ये सच है आदमी पर
कलियुग का है प्रभाव
ठगने में लोग माहिर 
सच्चाई का अभाव

चेहरा है खूबसूरत
अन्दर से दिल है स्याह

सुनील कुमार मौर्य बेखुद
गोरखपुर

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  # ईमान और कलयुग

# ईमान और कलयुग #कविता

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