बुझा दो बत्ती चिरागों की मेरा यार शुकून से सो गया है नाराज है शायद मुझसे तभी गुड नाइट भी नही किया है बुलावा भेजों जुगनुओं को टिमटिमाने का वक्त हो गया है चमक उठता है चांद सा चेहरा क्या गजब नूर निखरा है लुटा दो नजारें ऐ बहारों सपनों का वक्त शुरु हुआ है मुस्करा रहा है हल्के से शायद बहारों में खो गया है नजर ना लगा ऐ चांदनी तेरा रूप फीका पड़ गया है पंखा लहराओं ऐ हवाओं मेरा यार मचल रहा है ख्याल रखा जाएं तबीयत से सारा माहौल बोल रहा है मैं बार बार निहारूं यू मेरा यार सो रहा है ©RJ25 Muradya ji #sleep #Night