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आंखें रोई, दिल ज़िद करने लगा, तेरा ना होना बहुत अख

आंखें रोई, दिल ज़िद करने लगा,
तेरा ना होना बहुत अखरने लगा,
पूरा शहर बरसात में भीगा है,
मेरा सावन बग़ैर तेरे फ़ीका है।
सबसे नाराज़गी सी होने लगी है,
मन की शांति खोने सी लगी है।
     मन को समझाने की कोशिश नाकाम होए,
     बारिश तन ही नहीं मेरो मन भी भिगोए,,
बांहें फैलाकर हाथों में बूंदों को भरने लगे
हम तेरे साथ को तरसने लगे,
     कहीं झूले, कहीं सावन के गीत हैं, 
     तू लौट के आजा,, तू ही तो मेरा मीत है...

©Raj Alok Anand
  #सावन