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"थोड़े नासमझ, थोड़े नादान ही तो हैं," उम्र के कच्चे

"थोड़े नासमझ, थोड़े नादान ही तो हैं," उम्र के कच्चे हम
थोड़े शैतान ही तो है,

प्यारा सा बचपन है
और चहरे पे 
मुस्कान ही तो है,

बच्चो के भेष में
बसे भगवान ही तो है,

खिलखिलाति उम्र है,
और दुखों से अनजान ही तो है,

कन्धे पे स्कूल के बस्ते का बोझ है,
और जिम्मेदारीयों के बोझ से अनजान ही तो है,

यही तो लम्हे हैं जीवन के मजे लेने का
वरना कठपुतली के भेष में इंसान ही तो है,

अभी थोड़ा नासमझ,
थोड़ा नादान ही तो है, #बचपन #ही #अच्छा #था
"थोड़े नासमझ, थोड़े नादान ही तो हैं," उम्र के कच्चे हम
थोड़े शैतान ही तो है,

प्यारा सा बचपन है
और चहरे पे 
मुस्कान ही तो है,

बच्चो के भेष में
बसे भगवान ही तो है,

खिलखिलाति उम्र है,
और दुखों से अनजान ही तो है,

कन्धे पे स्कूल के बस्ते का बोझ है,
और जिम्मेदारीयों के बोझ से अनजान ही तो है,

यही तो लम्हे हैं जीवन के मजे लेने का
वरना कठपुतली के भेष में इंसान ही तो है,

अभी थोड़ा नासमझ,
थोड़ा नादान ही तो है, #बचपन #ही #अच्छा #था