कल चौदहवीं की रात थी सूरत तेरी सीरत मेरी कह नही सकता दिन था के रात थी उमर यूही गुजर जाये तेरा हाथ थामे अफसोस मगर ये तो बस एक रात थी कल चौदहवीं कि रात थी चेहरा तेरा कहता है बहुत कुछ खामोश लब बोलते है बहुत कुछ तेरे ख्वाबो में गुजरी क्या हसी रात थी जुल्फे तेरी बादल रेशमी पाज़ेब तेरी आवाज़ सुरीली आंखे तेरी क़ातिल मेरी मर हि जाते मगर कल चौदहवीं की रात थी अब दीवाने होकर कहा जाये कूचा तेरा ,जंगल तेरा , परबत तेरा, शहर तेरा मेरी तो बस ये रात थी कल चौदहवीं की रात थी #कल चौदहवीं की रात थी