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और आज़ आखिरी दिन है कॉलेज का फिर शायद ही कोई मौका

और आज़ आखिरी दिन है 
कॉलेज का 
फिर शायद ही कोई मौका मिले 
कॉलेज आने का 
वैसे भी कौन आना चाहता है यहाँ 
सारे खड़ूस है 
सिवाय आपके सो आता रहा 
अब नहीं आना 
ये शब्द पता नहीं डरावने थे 
मगर पहली दफा 
एक आवाज़ निकली आना किसी बहाने 
बोल नहीं पाया 
वो समझती बहुत थी बोली आऊंगा न 
मन रखने के लिए 
बस इतने ही दिनों का साथ था 
शुक्रिया तुम्हारा 
तुमने जीवन मे एक नया पन्ना जोड़ा

©ranjit Kumar rathour आखिरी दिन
और आज़ आखिरी दिन है 
कॉलेज का 
फिर शायद ही कोई मौका मिले 
कॉलेज आने का 
वैसे भी कौन आना चाहता है यहाँ 
सारे खड़ूस है 
सिवाय आपके सो आता रहा 
अब नहीं आना 
ये शब्द पता नहीं डरावने थे 
मगर पहली दफा 
एक आवाज़ निकली आना किसी बहाने 
बोल नहीं पाया 
वो समझती बहुत थी बोली आऊंगा न 
मन रखने के लिए 
बस इतने ही दिनों का साथ था 
शुक्रिया तुम्हारा 
तुमने जीवन मे एक नया पन्ना जोड़ा

©ranjit Kumar rathour आखिरी दिन