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*** कविता *** *** फ़लसफ़ा *** " अब ये बात रहने

*** कविता *** 
*** फ़लसफ़ा *** 

" अब ये बात रहने भी दें ,
थोड़ा दर्द सहने भी दें ,
सम्भाल लूं खुद को कैसे ,
मुहब्बत हो रही है बहकने दे ,
मत सोच कुछ ऐसा ये‌ शामे वफ़ा ,
कर मेरे नाम यू तूझसे हसरतें पूरी करने दे ,
मिला हर कोई यहां कोई फ़लसफ़ा बना नहीं,
मुहब्बत के‌ आसियाना तुझमें बनाने दे ,
दे तब्बजो हसरतों को मेरी हर शाम तेरी हो ,
बना नहीं अभी कोई आशियां ,
फ़लसफ़ा तेरी चाहतों का बन ने दे ."

                                --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** कविता *** 
*** फ़लसफ़ा *** 

" अब ये बात रहने भी दें ,
थोड़ा दर्द सहने भी दें ,
सम्भाल लूं खुद को कैसे ,
मुहब्बत हो रही है बहकने दे ,
मत सोच कुछ ऐसा ये‌ शामे वफ़ा ,
*** कविता *** 
*** फ़लसफ़ा *** 

" अब ये बात रहने भी दें ,
थोड़ा दर्द सहने भी दें ,
सम्भाल लूं खुद को कैसे ,
मुहब्बत हो रही है बहकने दे ,
मत सोच कुछ ऐसा ये‌ शामे वफ़ा ,
कर मेरे नाम यू तूझसे हसरतें पूरी करने दे ,
मिला हर कोई यहां कोई फ़लसफ़ा बना नहीं,
मुहब्बत के‌ आसियाना तुझमें बनाने दे ,
दे तब्बजो हसरतों को मेरी हर शाम तेरी हो ,
बना नहीं अभी कोई आशियां ,
फ़लसफ़ा तेरी चाहतों का बन ने दे ."

                                --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** कविता *** 
*** फ़लसफ़ा *** 

" अब ये बात रहने भी दें ,
थोड़ा दर्द सहने भी दें ,
सम्भाल लूं खुद को कैसे ,
मुहब्बत हो रही है बहकने दे ,
मत सोच कुछ ऐसा ये‌ शामे वफ़ा ,

*** कविता *** *** फ़लसफ़ा *** " अब ये बात रहने भी दें , थोड़ा दर्द सहने भी दें , सम्भाल लूं खुद को कैसे , मुहब्बत हो रही है बहकने दे , मत सोच कुछ ऐसा ये‌ शामे वफ़ा , #आसियाना