मुफ़्त में नहीं कमाई है ये तरक़्क़ी, रोज़ मंज़िल पाने की ख्वाहिश कर, दिन रात मेहनत की तपस्या करता था। किश्तों में अपनी ज़िंदगी गुजार दी, सपनों को साकार करने में। ©Anukaran #तरक़्क़ी