Nojoto: Largest Storytelling Platform

#कुण्डलिया छंद# 1- सच्ची है यह बात पर, लगती बड़ी वि

#कुण्डलिया छंद#
1-
सच्ची है यह बात पर, लगती बड़ी विचित्र।
जो भी बैठे ऊँट पर, वही  मलकता  मित्र।।
वही  मलकता  मित्र, भले  हो  कोई पिद्दी।
मिलते ही अधिकार, वही बन जाता जिद्दी।।
जहाँ  अहं  की  बात, व्यर्थ  है  माथापच्ची।
समझ न आती बात,वहाँ फिर सीधी सच्ची।
2-
भरता  है  जो  देश का, अन्न  उगाकर  पेट।
आज सियासत कर रही,उसका ही आखेट।।
उसका  ही  आखेट, हो  रहा  ये  अफवाहें।
कब  टूटे  गतिरोध, सभी की  लगीं निगाहें।।
कैसे कृषि कानून, कृषक ही  जिनसे डरता।
कृषकों का यह देश, कौन ऐसा दम भरता।।

#हरिओम श्रीवास्तव#
   #भोपाल, म.प्र.#

©Hariom Shrivastava #Sunrise
#कुण्डलिया छंद#
1-
सच्ची है यह बात पर, लगती बड़ी विचित्र।
जो भी बैठे ऊँट पर, वही  मलकता  मित्र।।
वही  मलकता  मित्र, भले  हो  कोई पिद्दी।
मिलते ही अधिकार, वही बन जाता जिद्दी।।
जहाँ  अहं  की  बात, व्यर्थ  है  माथापच्ची।
समझ न आती बात,वहाँ फिर सीधी सच्ची।
2-
भरता  है  जो  देश का, अन्न  उगाकर  पेट।
आज सियासत कर रही,उसका ही आखेट।।
उसका  ही  आखेट, हो  रहा  ये  अफवाहें।
कब  टूटे  गतिरोध, सभी की  लगीं निगाहें।।
कैसे कृषि कानून, कृषक ही  जिनसे डरता।
कृषकों का यह देश, कौन ऐसा दम भरता।।

#हरिओम श्रीवास्तव#
   #भोपाल, म.प्र.#

©Hariom Shrivastava #Sunrise