उस पार अंधेरे तुम हो क्या, यूं मुझको घेरे तुम हो क्या, इक ख़्वाब से मेरी आंख खुली है, ये सुबह सवेरे तुम हो क्या, जाने कैसा रोग लगा है, जो मन- मौला हो बैठा, बेबस तुमको सोच रहा हूं, दिल मे मेरे तुम हो क्या....? तुम हो क्या.....?