तुम पढ़ती रहो मैं लिखता रहूं, अपनी शायरी में तुम को सजोता रहूं। शामों का सुकून हाथों में तेरा हाथ लिखूं, नदी के शांत तट पर तुम्हारा प्यार लिखूं।। तुम पढ़ती रहो मैं लिखता रहूं, जेठ की तपती धूप में तुम्हे, किसी पेड़ की छांव लिखूं। बारिश से भीगी घासों का, तुम को ठंडा एहसास लिखूं।। शहर की भीड़ से दूर कही, किसी गांव का शांति लिखूं। तुम पढ़ती रहो मैं लिखता रहूं, अपनी शायरी में तुम को सजोता रहूं।। ©Sachin Mishra #SunSet #shayarkiduniya #Love #Missing