कभी मंजिल ने ठुकराया, कभी पथ ने छला मुझको। आँखो ने इशारे कर , इशारो में छला मुझको। बड़े मासूम थे चेहरे , बड़ी मासूम बाते थी। बड़े दिलकश नजारे थे, बड़ी मासूम घाते थी। अभी तक ना सभँल पाया, नजारो ने छला मुझको। वे आँखे थी की मयखाने, वे जुल्फे़ थी की अफसाने। ढलकती मय जो प्यालो में, छलक जाते थे पैमाने। लगा कर जाम होठो पर, हमें बेहोश कर डाला। उड़ा कर गेसुँवो फिर, हवावो ने छला मुझको। कभी मंजिल ने ठुकराया, कभी पथ ने छला मुझको। ©manish tiwari #UskiAankhein kjh