शायद........ शायद समझ ना पाए तुम मुझे शायद समझ ना पाई मैं तुम्हे सालो का साथ यूंही बीत गया दिल के जज़्बात कोने में दफ़न होगए। समझने समझाने के लिए पास आई किसी अजनबी को पास पाया। कभी थकावट का इशारा था कभी रात ढल जाने का बहाना था हर वक्त ही रुसवाई थी जाने किस बात की सजा पाई थी। इजहार का इंतजार करते करते जाने कितनी राते गुजार दी। एक अहसास को तरसते रहे एक जज़्बात को तरसते रहे। Archana Chaudhary'Abhiman' #सिसक