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चाय उबल -उबल कर कम हो रही है जनाब, कहीं

   चाय उबल -उबल कर कम हो रही है जनाब,
       कहीं से तो यार पुराने अब ले आओ..
  
   महीना आखिरी, उम्र बीतती जा रही है साहब,
     कहीं से तो  वो बेंच पुरानी वापस अब ले आओ..

 
   सर्द हवाओं की रफ्तार, गुजरती जा रही जनाब
    कहीं से तो  वो अल्हड़पन  चुरा अब ले आओ..

  




    #चाय_और_तुम्हारी_याद 
#बेंच 
#अल्हड़पन 
#yqfriendshipquotes 
#tulikagarg
   चाय उबल -उबल कर कम हो रही है जनाब,
       कहीं से तो यार पुराने अब ले आओ..
  
   महीना आखिरी, उम्र बीतती जा रही है साहब,
     कहीं से तो  वो बेंच पुरानी वापस अब ले आओ..

 
   सर्द हवाओं की रफ्तार, गुजरती जा रही जनाब
    कहीं से तो  वो अल्हड़पन  चुरा अब ले आओ..

  




    #चाय_और_तुम्हारी_याद 
#बेंच 
#अल्हड़पन 
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#tulikagarg