ऐ ठढ़ी हवा तु करले जफ़ा पर इतनी नहीं तु जालिम है जितना की ये अहसान फरामोश इंसा है तेरे दांत भी इतने तीखे कहां और तुम आंखों से सबके ओझल हो लेकिन सांसें तुम्हारी उज्जड़ हैं पर बहती हुई तुम गाती रहो उन कांटो भरे उन पेडों तक ज्यादातर दोस्ती दिखावा है और ज्यादातर मोहब्बत धोखा है पर बहती हुई तुम गाती रहो उन कांटो भरे उन पेडों तक ये जीवन बड़ा ही सुंदर है तेरा आसमां भी अगर के जम जाए यह इतने करीब से न काटेगा जितना की भुला देते हैं वो अपनी जरुरत पुरी कर हालांकि जितना पानी को तुम मोड़ो और तोड़ो जुल्म करो तेरे ड़क भी इतने तीखे नहीं जितना की एक साथी ,साथी को कर देता है दिल से दूर सुनो पर बहती हुई तुम गाती रहो उन कांटो भरे उन पेडों तक शेक्सपियर के गीत ब्लो, ब्लो ,दाउ विंटर विंड़ का हिन्दी रूपांतरण (क़मर अब्बास के क़लम से) #Shakespeare'ssong #World_Forest_Day