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कविवार जानती हो, मैं मौन क्यों हो जाता हूँ यूँ अक

कविवार

जानती हो, मैं मौन क्यों हो जाता हूँ यूँ अक्सर
बस इसलिए कि तुम कोई गीत गाओ मेरे लिए

मैं रोऊँ, मेरी आँखों में आँसुओं की  बूँदें झलकें
उस वक्त भी तुम थोड़ा-सा मुस्कुराओ मेरे लिए

सौ बातें तुम्हारे जेहन में घूमा करतीं हों ये माना
कुछ पल के लिए सब भूल कर आओ मेरे लिए

अँधेरे और रोशनी के हलचलों से मैं थक गया हूँ
तुम एक ठहरी हुई-सी साँझ बन जाओ मेरे लिए

मैं छोड़ दूँगा कविता की एक अंतिम पंक्ति अधूरी
तुम कुछ लिखकर  एक कविता बनाओ मेरे लिए!

©Ashish Kumar Verma
  कविवार
कविवार

जानती हो, मैं मौन क्यों हो जाता हूँ यूँ अक्सर
बस इसलिए कि तुम कोई गीत गाओ मेरे लिए

मैं रोऊँ, मेरी आँखों में आँसुओं की  बूँदें झलकें
उस वक्त भी तुम थोड़ा-सा मुस्कुराओ मेरे लिए

सौ बातें तुम्हारे जेहन में घूमा करतीं हों ये माना
कुछ पल के लिए सब भूल कर आओ मेरे लिए

अँधेरे और रोशनी के हलचलों से मैं थक गया हूँ
तुम एक ठहरी हुई-सी साँझ बन जाओ मेरे लिए

मैं छोड़ दूँगा कविता की एक अंतिम पंक्ति अधूरी
तुम कुछ लिखकर  एक कविता बनाओ मेरे लिए!

©Ashish Kumar Verma
  कविवार

कविवार