संसार के रिश्तों में कड़वाहट सी हो गई है ,टूटा है विश्वास हमे अपनो से और उम्मीद गैरो से हो गई है,और कई बार पूछ लेते है वो सवाल हमसे आकर ,उन्हें क्या बताएं अब हमे अपने आप से बात करने की आदत कुछ ज्यादा सी हो गई है ....अमित माहला ,उन्हें क्या बताएं अब हमे अपने आप से बात करने की आदत कुछ ज्यादा सी हो गई है ....अमित माहला