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धरती हरी भरी मनमोहक तन हो या हो बंजर परती हर प्राण

धरती
हरी भरी मनमोहक तन हो
या हो बंजर परती
हर प्राणी से एक ही नाता
सबकी माता धरती

जननी है हर जीव की असली
ये ही पालनहार
हृदय विशाल सागर सा इसका
खूब लुटाती प्यार

भूखे को भोजन  देती है
व प्यासे को नीर
रत्नों का भंडार है देती
अपने हृदय को चीर

कहती मानव से तुम मेरी
सर्वोत्तम संतान
मेरी रक्षा हाथ तुम्हारे
कहते वेद पुरान

बेखुद ऐसे काम न करना
आए मुझ पर संकट
डर लगता ब्रम्हांड कहे ना
मुझे भविष्य का मरघट

   स्वरचित
  सुनील कुमार मौर्य बेखुद
  24/12/2024

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #EarthDay
धरती
हरी भरी मनमोहक तन हो
या हो बंजर परती
हर प्राणी से एक ही नाता
सबकी माता धरती

जननी है हर जीव की असली
ये ही पालनहार
हृदय विशाल सागर सा इसका
खूब लुटाती प्यार

भूखे को भोजन  देती है
व प्यासे को नीर
रत्नों का भंडार है देती
अपने हृदय को चीर

कहती मानव से तुम मेरी
सर्वोत्तम संतान
मेरी रक्षा हाथ तुम्हारे
कहते वेद पुरान

बेखुद ऐसे काम न करना
आए मुझ पर संकट
डर लगता ब्रम्हांड कहे ना
मुझे भविष्य का मरघट

   स्वरचित
  सुनील कुमार मौर्य बेखुद
  24/12/2024

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #EarthDay