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मौसम बदलता है रंग ज़िंदगी के कुछ इस तरह कि शाख से

मौसम बदलता है रंग ज़िंदगी के कुछ इस तरह
कि शाख से पत्ते छूट जाते हैं रंग खोकर अपना,
विनाश के बाद होता सृजन ये नियम है इस सृष्टि का
नव कोंपल खिल जाती है नवरंग पाकर अपना।

©Sonal Panwar
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