मुझें किसी से मुहबत नहीं सिवा तेरे मुझें किसी की जरूरत नहीं सिवा तेरे मेरी नजरो को तलास थी बरसो से जिस सुरत की वह किसी के पास नहीं सिवा तेरे, जो मेरे ओर मेरी जिन्दगी से खेल सके, किसी को दिल इतनी इज़ाजत नहीं सिवा तेरे। raman mathur # सिवा तेरे