White कल भी बेघर थे आज भी बेघर हो पर चलाते कैसे कितनों के घर हो ? लालच की आग में इतना भी जलना क्या कितने अंदर हो कितने बाहर हो ? अंधेरों से दोस्ती क्यों रातें जागते रहते हो या चांद के साथ तुम भी मिलकर हो ? देखता हूं तुम्हें हर बार दर्पण में मुझ जैसे हो या मुझसे बेहतर हो ..! ©gaTTubaba #Thinking कल भी बेघर थे आज भी बेघर हो पर चलाते कैसे कितनों के घर हो ? लालच की आग में इतना भी जलना क्या