ज़लवे को देख तेरे मबहूत हो गये हैं पत्थर थे वो कभी जो याक़ूत हो गये हैं मज़हब ने कब सिखाया इक दूसरे से डरना नग साथ में जुड़े तो मज़बूत हो गये हैं हो कर फ़ना पज़ीरी सीरत न उनकी बदली मरने के बाद फिर से वो भूत हो गये हैं गिरगिट से रंग बदले , लहज़ा भी कड़वा बदला जब से चुनाव आये शहतूत हो गये हैं छू कर मैं आज तुमको तुम जैसा हो गया हूँ चेहरा गुलाब और लब याक़ूत हो गये हैं तरबूज़ कोई मीठा बाज़ार में न पाया पर नीम तेरे घर के शहतूत हो गये हैं सारे कपूत निकले जो मन्नतों में मांगे बेटों की चाह वाले मबहूत हो गये हैं बे-बर्ग हो गये हैं सब पेड़ इस चमन के जो थे कभी हरे वो ताबूत हो गये हैं 221 2122 221 2122 मबहूत---- हैरान याक़ूत --- रूबी,लाल नग फ़ना- पज़ीरी -- मरने के बाद बे-बर्ग ---बिना पत्तों का कोई ग़लती हो निःसंकोच बताएं। #yqdidi #bestyqhindiquotes #gazal #love #life #vishalvaid #विशालवैद