तेरी यादें गर्मी की उमस -सा न बन जाये, जो सुकून से,जीने भी न दे, और न मरने! अब तू ही सोच क्या बनना चाहता है, वक़्त पे आना, या आने से पहले,जाने की बार करना! -sabeel ahmad #तन्हा_परिंदा #drd #ksh #sham