नैनो में सपने अब लेकर , नव संवत यह आ गया ।
प्रेम प्रीति की इस धरती पर , आज सनातन छा गया ।।
नैनों में सपने अब लेकर ....
आते चैत्र लगे है पकने , फसलों की बरसात है ।
झूमें गायें आज कृषक सब , क्यों देखें दिन रात है ।।
देखो इनके साथ झूमने , आज पवन भी आ गया ।
नैनों में सपने अब लेकर ..... #कविता