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नैनो में सपने अब लेकर , नव संवत यह आ गया । प्रेम

नैनो में सपने अब लेकर ,  नव संवत यह आ गया ।
प्रेम प्रीति की इस धरती पर , आज सनातन छा गया ।।
नैनों में सपने अब लेकर ....

आते चैत्र लगे है पकने , फसलों की बरसात है ।
झूमें गायें आज कृषक सब , क्यों देखें दिन रात है ।।
देखो इनके साथ झूमने , आज पवन भी आ गया ।
नैनों में सपने अब लेकर .....

जीव जन्तु जन मानव सब , खुशियां आज मना रहा ।
उस पर वसंत का मौसम यह , फूलों से महका रहा ।।
हर ऋतु के त्यौहार अलग है , वेद सुनों समझा गया ।
नैनों में सपने अब लेकर .....

होता है शृंगार प्रकृति का , ऋतु वसंत बतला गया ।
चारो ऋतुओं का मतलब , देख वही समझा गया ।।
केसरिया ध्वज को फहराने , सूर्य किरण नभ छा गया ।
ने नों में सपने अब लेकर .....

नैनों में सपने अब लेकर , नव संवत यह आ गया ।
प्रेम प्रीत की इस धरती पर , आज सनातन छा गया ।।

२२/०३/२०२३       -        महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR नैनो में सपने अब लेकर ,  नव संवत यह आ गया ।
प्रेम प्रीति की इस धरती पर , आज सनातन छा गया ।।
नैनों में सपने अब लेकर ....

आते चैत्र लगे है पकने , फसलों की बरसात है ।
झूमें गायें आज कृषक सब , क्यों देखें दिन रात है ।।
देखो इनके साथ झूमने , आज पवन भी आ गया ।
नैनों में सपने अब लेकर .....
नैनो में सपने अब लेकर ,  नव संवत यह आ गया ।
प्रेम प्रीति की इस धरती पर , आज सनातन छा गया ।।
नैनों में सपने अब लेकर ....

आते चैत्र लगे है पकने , फसलों की बरसात है ।
झूमें गायें आज कृषक सब , क्यों देखें दिन रात है ।।
देखो इनके साथ झूमने , आज पवन भी आ गया ।
नैनों में सपने अब लेकर .....

जीव जन्तु जन मानव सब , खुशियां आज मना रहा ।
उस पर वसंत का मौसम यह , फूलों से महका रहा ।।
हर ऋतु के त्यौहार अलग है , वेद सुनों समझा गया ।
नैनों में सपने अब लेकर .....

होता है शृंगार प्रकृति का , ऋतु वसंत बतला गया ।
चारो ऋतुओं का मतलब , देख वही समझा गया ।।
केसरिया ध्वज को फहराने , सूर्य किरण नभ छा गया ।
ने नों में सपने अब लेकर .....

नैनों में सपने अब लेकर , नव संवत यह आ गया ।
प्रेम प्रीत की इस धरती पर , आज सनातन छा गया ।।

२२/०३/२०२३       -        महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR नैनो में सपने अब लेकर ,  नव संवत यह आ गया ।
प्रेम प्रीति की इस धरती पर , आज सनातन छा गया ।।
नैनों में सपने अब लेकर ....

आते चैत्र लगे है पकने , फसलों की बरसात है ।
झूमें गायें आज कृषक सब , क्यों देखें दिन रात है ।।
देखो इनके साथ झूमने , आज पवन भी आ गया ।
नैनों में सपने अब लेकर .....

नैनो में सपने अब लेकर , नव संवत यह आ गया । प्रेम प्रीति की इस धरती पर , आज सनातन छा गया ।। नैनों में सपने अब लेकर .... आते चैत्र लगे है पकने , फसलों की बरसात है । झूमें गायें आज कृषक सब , क्यों देखें दिन रात है ।। देखो इनके साथ झूमने , आज पवन भी आ गया । नैनों में सपने अब लेकर ..... #कविता