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आँख मूँदे कहाँ तक गुज़रता चलूँ ये तो मुमकिन नहीं है

आँख मूँदे कहाँ तक गुज़रता चलूँ
ये तो मुमकिन नहीं है कि डरता चलूँ !
मैं कि शायर भी हूँ और मुअर्रिख़ भी हूँ
ज़ुल्म जितने भी हों दर्ज करता चलूँ !

आँसुओं की गवाही से लिखता रहूँ
ख़ूने दिल की सियाही से लिखता रहूँ !

ज़ालिमों, क़ातिलों के मददगार को
इस कहानी के खूँखार किरदार को !!
मैं नहीं मानता, मैं नहीं मानता
___Sohail Khan #love #life #poem #shayri
आँख मूँदे कहाँ तक गुज़रता चलूँ
ये तो मुमकिन नहीं है कि डरता चलूँ !
मैं कि शायर भी हूँ और मुअर्रिख़ भी हूँ
ज़ुल्म जितने भी हों दर्ज करता चलूँ !

आँसुओं की गवाही से लिखता रहूँ
ख़ूने दिल की सियाही से लिखता रहूँ !

ज़ालिमों, क़ातिलों के मददगार को
इस कहानी के खूँखार किरदार को !!
मैं नहीं मानता, मैं नहीं मानता
___Sohail Khan #love #life #poem #shayri