कोई खींचता नही अपनी तरफ, इशारों से, कोई खींचता नही उंगलियों के किनारों से, कोई सीने की धड़कनों को गिनता नही, लगा के कान अपने, कोई खरोंच चूभती नही चूड़ी की, कोई खीज जाता नही ज़ुल्फो के बिखर जाने से। कशिश का सबब नही, यूँ बिस्तर सिलवटों को तरस गए, मुस्कुराते रहे हम, साफ़ कमरा देखकर, भीतर उमड़-घुमड़ कर, कितने बादल बरस गए। अचानक कांच पर लगी बिंदी न बांध लिया मुझको मेरे पेशानी पे वो चमक उठी, जाने कैसे मुझमे तू नज़र आई, हाथ बढाकर आईने को कपकपाते हुए छुआ, और तेरे आने की खबर आई #uskiyaadmai