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White मंज़िल मिलेगी मंज़िल मिल ही जाएगी, भटकते-भट

White मंज़िल मिलेगी

मंज़िल मिल ही जाएगी, भटकते-भटकते ही सही,
गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।

जो राह में आए, उन्हें हमसफ़र मान लो,
अंधेरों से लड़कर, दिया एक जलाना सीख लो।
हवाओं की साजिश से डरना नहीं,
सफ़र को ही जीना, ठिकाना नहीं।

कदमों की चापों में हौसला रखो,
मुसीबत में भी मुस्कुरा के चलो।
जो हार से पहले ही बैठा रहा,
उसे जीत का मज़ा कभी मिल न सका।

जो गिरते रहे, उठते रहे बार-बार,
वही देख सके हैं सवेरे के द्वार।
हौसले की लौ जब जलती रहेगी,
मंज़िल भी आकर कदम चूम लेगी।

— अशोक वर्मा 'हमदर्द'

©Ashok Verma "Hamdard" #मंजिल मिलेगी
White मंज़िल मिलेगी

मंज़िल मिल ही जाएगी, भटकते-भटकते ही सही,
गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।

जो राह में आए, उन्हें हमसफ़र मान लो,
अंधेरों से लड़कर, दिया एक जलाना सीख लो।
हवाओं की साजिश से डरना नहीं,
सफ़र को ही जीना, ठिकाना नहीं।

कदमों की चापों में हौसला रखो,
मुसीबत में भी मुस्कुरा के चलो।
जो हार से पहले ही बैठा रहा,
उसे जीत का मज़ा कभी मिल न सका।

जो गिरते रहे, उठते रहे बार-बार,
वही देख सके हैं सवेरे के द्वार।
हौसले की लौ जब जलती रहेगी,
मंज़िल भी आकर कदम चूम लेगी।

— अशोक वर्मा 'हमदर्द'

©Ashok Verma "Hamdard" #मंजिल मिलेगी