पीड़ाएँ...⊙ जीवन में सर्वाधिक पीड़ा… तब होती है… जब आप किसी विशेष… व्यक्ति से मिलने आते हैं… और उसके बहुत क़रीब… पहुँचकर भी मिल ना पायें… क्यूँकि ना मिलने की… पीड़ा जितनी #कम_होती_है… उससे अधिक होती है… एक बार भी… ना देख पाने का खेद… ये ऐसा है होता है जैसे… किसी को शूल चुभने के… तत्पश्चात् पूछा जाये कि… तुम्हारी पीड़ा कितनी है… रिस-रिस कर… बहने वाला ये दर्द… इंसान को इतना… ख़ाली और #अकेला_कर_देता है कि… बरसों बीतने के बाद भी… यद्यपि उसमें कुछ रहता है तो… इक झूठी सी आस का… अविश्वासी ढाँचा… जो बिखर तो चुका है… किन्तु बस गिरने भर की देर है… ये गिरा और #सब_समाप्त ॥ #पीड़ाएँ✍️♥️🧔🏻 ©purvarth #thought