Nojoto: Largest Storytelling Platform

दिवाली नजदीक है घर आँगन की सफाई करने बैठी . . . त

दिवाली नजदीक है घर आँगन की सफाई करने बैठी . . . 
तो बहुत कुछ मन के भीतर भी बेकार ओर रद्दी सा दिखा, 
रद्दी वाले से पूछा. . . .
शिकायतें, गुस्सा, निराशा और मायूसी कितने में खरिदोगे .?.?
भण्डार है इन सब का
पुराने रद्दी और कबाड़ से भी 
कहीं ज्यादा.!.!.!
क्यों ना इस बार बाहर के साथ साथ 
भीतर की भी सफाई की जाए
जितना कुछ भीतर है बेकार, रद्दी और फालतू सब बेच दिया जाए. . . .
चंद सिक्के मुस्कुराहट के या बदले में प्यार और माफी के चने मुरमुरे ही सही..
गर कुछ ना भी दे बदले में
तो भी इस कबाड़ के चले जाने से मन का कौना कौना साफ तो होगा. . .
जला सकूँगी जहाँ प्रेम, करुणा और संतोष का दीपक,
चमक उठेगा मन का आँगन इस दिवाली . . . .
प्रभु की कृपा और अपनों के स्नेह से । #शुभ_दीपावली
दिवाली नजदीक है घर आँगन की सफाई करने बैठी . . . 
तो बहुत कुछ मन के भीतर भी बेकार ओर रद्दी सा दिखा, 
रद्दी वाले से पूछा. . . .
शिकायतें, गुस्सा, निराशा और मायूसी कितने में खरिदोगे .?.?
भण्डार है इन सब का
पुराने रद्दी और कबाड़ से भी 
कहीं ज्यादा.!.!.!
क्यों ना इस बार बाहर के साथ साथ 
भीतर की भी सफाई की जाए
जितना कुछ भीतर है बेकार, रद्दी और फालतू सब बेच दिया जाए. . . .
चंद सिक्के मुस्कुराहट के या बदले में प्यार और माफी के चने मुरमुरे ही सही..
गर कुछ ना भी दे बदले में
तो भी इस कबाड़ के चले जाने से मन का कौना कौना साफ तो होगा. . .
जला सकूँगी जहाँ प्रेम, करुणा और संतोष का दीपक,
चमक उठेगा मन का आँगन इस दिवाली . . . .
प्रभु की कृपा और अपनों के स्नेह से । #शुभ_दीपावली