#MessageOfTheDay शीर्षक: सारः-विहीन जीवन जो "जीवन" आकाश से आता धरा पर 'समय' से बंध जाता उम्र की परिधि में ही चलता इसलिए "जिंदगी" नाम पाता 'आगमन' होने पर भी जो रोता 'मृत्यु' का उपहार ही वो पाता 'संसार' आखिर क्या बला है ? न जीकर, न मरकर समझ पाता बहुत कुछ पाता "जीवन" आँचल में पर रहता वो अपने ही 'खालीपन' में आंगन में बिखरी धूप न देख पाता अंधेरो की तलाश में, खुद,खो जाता 'प्रेम' रोग से धरती पर ग्रस्त हो जाता मोह, माया की मदिरा से झूम जाता नशा जब उतरता, बेचैनियों से घबराता भोग में फंस, क्यों तन पाया ? भूल जाता आशा निराशा के पहलू में, करवट बदलता अपने पराये की चादर में, स्वयं न ढक पाता सब कुछ देकर, अपने आंसू स्वयं ही पीता सारः-विहीन "जीवन" है, यह कहकर जाता रचियता✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali सारः-विहीन जीवन #Messageoftheday