मैं दीपक सा जलता रहा, तेरी नुमायत रौशन करने के लिए। सादगी मेरी बिखरती गई तेरी खुशियों को भरने के लिए। शीला कुछ यू देगी, मुझे मालूम न था। मैं खुद को बदलता गया तेरे रुह मे उतरने के लिए। रद्दी शायर