जिन खाब्बो की कोई मंजिल ना हो , उन्हें एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ देना अच्छा है,जो खाब्ब हमें तकलीफ देते है उन्हें पुराने घाव समझकर भूल जाना अच्छा है, यू तो हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता कुछ लम्हों से समझौता कर लेना अच्छा है, कभी कभी अकेलेपन कि खालिस पाल लेना अच्छा है, वो वक्त कोई ओर था ,जब तुम्हारे एक दीदार को देखने को तरस जाती थी नजर आज तुम्हारा यू चला जाना अच्छा है, _ दीप्ति कुछ खाब्ब,.... #NationalChaiDay