पहले ही अच्छे थे कम से कम इंतज़ार नहीं था न कोई हसरत थी चाहत दीदार का नहीं था आज़ भी आयी थी पर वो बाला एतवार नहीं था बेचैनी सी हुईं थी और दिल को करार नहीं था उसकी अपनी थी मिजाज मेरा थोड़े न था जरूरी नहीं की एक ही भ्रम रोज पाला जाए जिंदगी है यारों खेल दिलो का अलग अंदाज़ मे खेला जाये कभी तड़पे खुद कभी किसी और को तड़पाया जाये वो आएगी कल भी देख मुस्कुराएगी फिर एक बार एक नया भ्रम पाला जाए ©ranjit Kumar rathour एक और भ्रम