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सब स्त्री के जिस्म की बात करते हैं , पुरुष का जिस्

सब स्त्री के जिस्म की बात करते हैं ,
पुरुष का जिस्म कभी संभाला नहीं किसी ने।
इस खाल की चारदीवारी के पीछे पत्थर था ,
जो मोम बन बहता गया पर देखा नहीं किसी ने। सब स्त्री के जिस्म की बात करते हैं ,
पुरुष का जिस्म कभी संभाला नहीं किसी ने।
इस खाल की चारदीवारी के पीछे पत्थर था ,
जो मोम बन बहता गया पर देखा नहीं किसी ने।
सब स्त्री के जिस्म की बात करते हैं ,
पुरुष का जिस्म कभी संभाला नहीं किसी ने।
इस खाल की चारदीवारी के पीछे पत्थर था ,
जो मोम बन बहता गया पर देखा नहीं किसी ने। सब स्त्री के जिस्म की बात करते हैं ,
पुरुष का जिस्म कभी संभाला नहीं किसी ने।
इस खाल की चारदीवारी के पीछे पत्थर था ,
जो मोम बन बहता गया पर देखा नहीं किसी ने।

सब स्त्री के जिस्म की बात करते हैं , पुरुष का जिस्म कभी संभाला नहीं किसी ने। इस खाल की चारदीवारी के पीछे पत्थर था , जो मोम बन बहता गया पर देखा नहीं किसी ने।