सब स्त्री के जिस्म की बात करते हैं , पुरुष का जिस्म कभी संभाला नहीं किसी ने। इस खाल की चारदीवारी के पीछे पत्थर था , जो मोम बन बहता गया पर देखा नहीं किसी ने। सब स्त्री के जिस्म की बात करते हैं , पुरुष का जिस्म कभी संभाला नहीं किसी ने। इस खाल की चारदीवारी के पीछे पत्थर था , जो मोम बन बहता गया पर देखा नहीं किसी ने।