My dream ख़्वाब बीते कल क्यों दुहराते हैं जगा कर नींद से क्यों रुलाते हैं कभी होता ऐसा की नये ख़्वाब बनते नींद में भी मुस्कुराने की वजह बनते खोई है जिन होंठो की हसीं उन होठों पर चार चांद सजाते काश सपनो की दुनिया में हम नया गीत गुनगुनाते ©Adarsh k Tanmay #Dreams ख़्वाब बीते कल क्यों दुहराते हैं