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रोशनी हुई तो दिखने लगा सब मन का अंधेरा, जाने मिटे

रोशनी  हुई तो दिखने लगा सब
मन का अंधेरा, जाने मिटेगा कब।
यारा,किताबों से अब कोई वास्ता नहीं
इसलिये मन को दिखता कोई रास्ता नहीं।
किताबों को बना लो मन का दीप
ईश्वर भी दिखने लगेगा समीप।

©Kamlesh Kandpal
  #roshni