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ये चादर पर सिलवटें हैं मेरी करवटों की । जैसे हवाओ

ये चादर पर सिलवटें हैं 
मेरी करवटों की ।
जैसे हवाओं के शिकन हैं 
चोटियों पर पर्वतों की ।
आप कहेंगे ये क्या बात हुई ?
हमारी बाहों की ताकत 
हवाओं से नाप दी ?
में कहूँगा 
खुद को पर्वत समझो ।
हर ख्वाब को 
हवाओं सा ज़रिया समझो ।
फर्क है एक बात का बस,
वो पर्वत शिकन 
अपने माथे पर रख
अडिग रहता है ।
हमारा अक्स 
ख्वाबों के निशाँ
पीछे छोड़ता है ।
एक थमा रहता है ।
एक बढ़ता, बहता है । सिलवटें

ये चादर पर सिलवटें हैं 
मेरी करवटों की ।
जैसे हवाओं के शिकन हैं 
चोटियों पर पर्वतों की ।
आप कहेंगे ये क्या बात हुई ?
हमारी बाहों की ताकत
ये चादर पर सिलवटें हैं 
मेरी करवटों की ।
जैसे हवाओं के शिकन हैं 
चोटियों पर पर्वतों की ।
आप कहेंगे ये क्या बात हुई ?
हमारी बाहों की ताकत 
हवाओं से नाप दी ?
में कहूँगा 
खुद को पर्वत समझो ।
हर ख्वाब को 
हवाओं सा ज़रिया समझो ।
फर्क है एक बात का बस,
वो पर्वत शिकन 
अपने माथे पर रख
अडिग रहता है ।
हमारा अक्स 
ख्वाबों के निशाँ
पीछे छोड़ता है ।
एक थमा रहता है ।
एक बढ़ता, बहता है । सिलवटें

ये चादर पर सिलवटें हैं 
मेरी करवटों की ।
जैसे हवाओं के शिकन हैं 
चोटियों पर पर्वतों की ।
आप कहेंगे ये क्या बात हुई ?
हमारी बाहों की ताकत
calmkazi6439

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