रख सका है कौन यहाँ? पलों को, क्षणों को रोक कर; जिन्दगी टिकी हुई है- महज सूई की नोक पर; जरा सी सूई हिल गई, तो जिन्दगी फिसल गई; गेंद सी लुढ़कती वह क्षितिज पार निकल गई। गुजर गया जो ‘कल’ था वह गुजर रहा जो ‘आज’ है क्या होगा ‘कल’ किसे पता? भविष्य एक राज है। खुदा के आगे पराधीन सब, हैं प्रारब्ध के अधीन सब, खिसक जाए न जाने किसके कदमों तले जमीन कब? प्रारब्ध #RDV18 #nojoto #कविता