वो मुझे इतनी भोली लगती है,कि गलत खयालातों को आना भी गलत लगता है खुदा करे ये नीयत सलामत रहे मेरी उसका इश्क़ ही तो मेरा सरपरस्त लगता है वो शांत बैठी हो तो सोचने लगता हूँ अपनी गलतियां वो खुश हो तो अपना ग़म भी मस्त लगता है एक पहर को कभी कभी वो रूबरू होती है मुझसे मुझे बस वो एक पहर ही जन्नत लगता है! वो इतनी भोली है !